☆मेरा तारा☆
#फ़ीनिक्सपुनर्जन्म
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सिसक आसमां रहा था
सिसक रहा था हर काया
हिस्से का एक तारा मेरा
बिखर टूटकर गुम अनंत में था वह
लुप्त चमक थी उसकी अब
वह चमक रोम रोम में बस आया
थिरक रहा था अब रोम रोम भी
हर हँसी बटोर अपनी झोली में
क्योंकि था वह संग ले लाया।।
वह तारा था असीम अजीज
पल पल सजता दमक से उसके
छन छन करते घनक से उसके
दर, दरवाजा और हर...
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सिसक आसमां रहा था
सिसक रहा था हर काया
हिस्से का एक तारा मेरा
बिखर टूटकर गुम अनंत में था वह
लुप्त चमक थी उसकी अब
वह चमक रोम रोम में बस आया
थिरक रहा था अब रोम रोम भी
हर हँसी बटोर अपनी झोली में
क्योंकि था वह संग ले लाया।।
वह तारा था असीम अजीज
पल पल सजता दमक से उसके
छन छन करते घनक से उसके
दर, दरवाजा और हर...