...

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आत्मा का मिलन
जब मै अपनी सभी जिम्मेदारियों से
धीरे धीरे हो रहा था मुक्त
साथ तुम्हरे जिन्दगी का
चाहता था बिताना आखिरी वक्त

छोड़ गई तुम उम्र के उस दौर में
मुझे अकेले यादों के इस शहर में
अब मुझे आते है याद तुम्हरे साथ
बिताए हुए वो हसीन पल
जो अब बन चुके है एक बीता हुआ कल

वो सपनों का घर बनाया था
हमने जिसे मिलकर
बिना तुम्हरे मेरे लिए बन गया है बस खंडहर
घर के हर एक कोने और आंगन में
महसूस होती हैं आज भी आवाज़ मुझे
तुम्हरे चूड़ी और पायल की छन छन की

और सुनो आज हमारे बच्चे हो गए बड़े
अब उनके भी है घर बस गए
आ रहा हूं अब मै तुम्हरे पास मे
इंतजार करना मेरा तुम स्वर्ग के द्वार मे
आत्मा का होगा आत्मा से मिलन
फिर कभी नहीं छूटेगा ये बंधन

© Ek baat bolu (अपर्णा तिवारी)