खामोशी की कहानी
चाहत की आग में जलता है दिल,
पर क्यों हर पल है खामोश यहाँ।
सुनता हूँ तेरी आवाज़ को बस,
पर क्यों हर दिन है सुनाई यहाँ।
बीतता वक़्त, गुज़रते लम्हों में,
ढूँढता हूँ तेरा जवाब यहाँ।
पर जैसे ही करूँ मन में तैयारी,
मिलती है बस खामोशी यहाँ।
क्यों छुपाए हैं तुम अपनी बातें,
क्यों नहीं देते हो तुम मुझे जवाब।
मेरी चाहत तो है, बस एक जवाब,
पर क्यों हर बार है बस तेरी खामोशी यहाँ।
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