...

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बेजान मोहब्बत

अब तो धड़कनें भी

तुम्हारे बिन

धड़कने बंद हो गए हैं

सांसे चल रही है

जिंदा हूं

बेजान सा हो गए हैं ......!!


वास्तव में

तुम आई ही नहीं थी

मेरी जिंदगी में

तुम तो थी मेरी

कल्पनाओं और

ख्वाबों में ........!!


मैं तो यूं ही

दिल में तुम्हें

जगह दे दिए थे

अपना समझ बैठे थे

क्योंकि

दिल के अरमा

जग चुके थे ......!!


तुम तो

आई तो थी मेरे पास

मुझे यूं ही

रिझाने के लिए

देखूं तो सही

तड़पते हो तुम

कैसे मेरे लिए......!!


यही सोच तो तुम्हारी

मुझ जैसे गरीब को

कैसा रोग दे दिए......


हो गया प्रेम का दीवाना

अब तो सारा

जग ही लगे पुराना .....

कुछ ना बदला

सिर्फ बदल गया

मेरा आशियाना .......!!


इस आशियाने में

मैं अकेला

बदला बदला सा .....

चेहरे की रौनक

जाती हुई

जैसे पागलों सा .......!!


वह हंसी

वह मुस्कुराहट

पहले जैसा ना रहा .....

बस तुम्हारी

याद आती है

तुम हो यहां

जैसे कह रहा ......!!

अजय आनंद "" नीतु ""