साल का अंतिम दिन
साल दर साल ये दिन आता है,
अंतिम होकर भी नए आगाज़ लाता है,
कुछ दलीलें तो कुछ नसीहतें,
साझा करके दिल नई सौगात लाता है,
गुपचुप, दबे पाँव झाँक कर
सदी की खिड़की से बाहर हुआ...
अंतिम होकर भी नए आगाज़ लाता है,
कुछ दलीलें तो कुछ नसीहतें,
साझा करके दिल नई सौगात लाता है,
गुपचुप, दबे पाँव झाँक कर
सदी की खिड़की से बाहर हुआ...