✍🏾बस आंख भर✍🏾
तकता रहा चांद को मैं बस यूंही आंख भर
सिसकता रहा रात सारी रहे आंसू बस आंख भर ।।
जिसकी ताक में बैठा था सारी रात मैं बस रात भर
इंतिज़ार करता रहा बस आंखें जलती रही बस चिराग़ भर ।।
उसकी यादों की एहतियात करना भी ज़रूरी है
चाहे फिर वो याद आए बस पल भर
हवाएं तेज हो जाए समंदर में तो
फिर कोन...
सिसकता रहा रात सारी रहे आंसू बस आंख भर ।।
जिसकी ताक में बैठा था सारी रात मैं बस रात भर
इंतिज़ार करता रहा बस आंखें जलती रही बस चिराग़ भर ।।
उसकी यादों की एहतियात करना भी ज़रूरी है
चाहे फिर वो याद आए बस पल भर
हवाएं तेज हो जाए समंदर में तो
फिर कोन...