चारदीवारी के अंदर ख्वाबों को पलते देखा है
चारदीवारी के अंदर
ख्वाबों को पलते देखा है
धुंधली लाइट के ज्योति में
तारों को डुबते देखा
जो निकले थे घर से भविष्य बनाने
फांसी पर झूलते देखा है
बुड्ढे मां बाप के आंख में
निरन्तर आसू बहते देखा है
बहनों ने जो राखी के कर्ज से
भाई को दबाते देखा है
चारदीवारी के अंदर ...
ख्वाबों को पलते देखा है
धुंधली लाइट के ज्योति में
तारों को डुबते देखा
जो निकले थे घर से भविष्य बनाने
फांसी पर झूलते देखा है
बुड्ढे मां बाप के आंख में
निरन्तर आसू बहते देखा है
बहनों ने जो राखी के कर्ज से
भाई को दबाते देखा है
चारदीवारी के अंदर ...