...

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कहानी एक रात की
इशशशशश....!!!!!
*वो क्या था* .....!!!???
मुझे याद है आज भी वो
खौफ़नाक मंज़र
वो सन्नाटा, वो बोलती ख़ामोशी
वो सांय सांय करती हवा
वो पत्तों की खनखनाहट
वो लाल खून से तनी,
काली दीवारों वाली सुनसान हवेली
वो खूंखार दरवाज़ा जो एक पल में खुला
तो दूसरे पल में बंद दिखाई दे रहा था।
टूटी खुली खिड़कियों से झांकता गुप अंधेरा
वो आसमान में तारों की जगह दिखते
हर तरफ़ उड़ते इंसानी शक्ल के परिंदे
चांँद की रौशनी पर मानो लगा था ग्रहण
हर तरफ़ बस ख़ौफ़ ही ख़ौफ
और तन्हा अकेली मैं!!
ना जाने क्या ढूंँढंने गई थी...