ग़ज़ल
कैसा ये दौर है, लोग किस किस्म से मोहब्बत करते हैं
रूह की बात छोड़िए, फक़त जिस्म से मोहब्बत करते हैं
सच्चाई, सादगी, साफ़गोई की, अब करता बात कौन?
भ्रम और दिखावे के नकली तिलिस्म से मोहब्बत करते हैं
ये...
रूह की बात छोड़िए, फक़त जिस्म से मोहब्बत करते हैं
सच्चाई, सादगी, साफ़गोई की, अब करता बात कौन?
भ्रम और दिखावे के नकली तिलिस्म से मोहब्बत करते हैं
ये...