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कविता लिखती हूं।।
हां मैं कविता लिखती हूं,
कभी उम्मीद लिखती हूं,
कभी जज़्बात लिखती हूं,
कभी एहसास लिखती हूं,
कभी प्यार लिखती हूं।
हां मैं कविता लिखती हूं।
कभी दर्द का बयां लिखती हूं,
कभी शब्दों का मरहम लिखती हूं,
कभी आंसू लिखती हूं,
कभी खुशी की वजह लिखती हूं।
हां मैं कविता लिखती हूं।
कभी दिल की बाते लिखती हूं,
कभी अनकही खामोशी लिखती हूं,
कभी तन्हा सी राते लिखती हूं,
कभी खिलती हुई शामें लिखती हूं।
हां मैं कविता लिखती हूं।
सपनो की बाते लिखती हूं,
हकीकत की सौगातें लिखती हूं,
कभी दुनियादारी की रस्में लिखती हूं,
कभी मैं बस अपने दिल की लिखती हूं,
हां मैं कविता लिखती हूं।
कभी उम्मीद लिखती हूं,
कभी जज़्बात लिखती हूं,
कभी एहसास लिखती हूं,
कभी प्यार लिखती हूं।
हां मैं कविता लिखती हूं।
कभी दर्द का बयां लिखती हूं,
कभी शब्दों का मरहम लिखती हूं,
कभी आंसू लिखती हूं,
कभी खुशी की वजह लिखती हूं।
हां मैं कविता लिखती हूं।
कभी दिल की बाते लिखती हूं,
कभी अनकही खामोशी लिखती हूं,
कभी तन्हा सी राते लिखती हूं,
कभी खिलती हुई शामें लिखती हूं।
हां मैं कविता लिखती हूं।
सपनो की बाते लिखती हूं,
हकीकत की सौगातें लिखती हूं,
कभी दुनियादारी की रस्में लिखती हूं,
कभी मैं बस अपने दिल की लिखती हूं,
हां मैं कविता लिखती हूं।
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