...

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यार झूंठे हैं,
तेरी आमद पे अ रकीब मेरे अश्फ़ाक रूठे हैं,
मेरे ग़म-ए-'उम्र-ए-मुख़्तसर हिस्सों में टूटे हैं,

बयां कैसे करूं मैं इस्ति'आरा-ए-ग़म, दिल की,
जब से हुआ रूखसार पे पर्दा सब ख्वाब छूटे हैं,

और...