सीख लो ना!
अगर है पंख पा कर उड़ जाने की चाह तुम में
तो उन पंखों के कतर जाने पर रुकना भी सीख लो ना;
अगर है जश्न-ए-जीत की प्रफुल्लता तुम में
तो पहले जश्न-ए-हार करना भी सीख लो ना;
अगर है अनंत तक की उंचाई छूने की आस तुम में
तो धरा पर औधे मुंह गिर के संभलना भी सीख लो ना;
अगर है फूलों सी खिलने की उम्मीद तुम में
तो इनके तरह सुख के बिखरना भी सीख लो ना;
अगर है...
तो उन पंखों के कतर जाने पर रुकना भी सीख लो ना;
अगर है जश्न-ए-जीत की प्रफुल्लता तुम में
तो पहले जश्न-ए-हार करना भी सीख लो ना;
अगर है अनंत तक की उंचाई छूने की आस तुम में
तो धरा पर औधे मुंह गिर के संभलना भी सीख लो ना;
अगर है फूलों सी खिलने की उम्मीद तुम में
तो इनके तरह सुख के बिखरना भी सीख लो ना;
अगर है...