...

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भरम के रपटीले पथ
यूँ भ्रम के रपटीले पथो पर भला कब तक तुम चलते रहोगे

आखिर बार बार फिसल कर कब तक खुद क़ो ज़ख्मी करते रहोगे

पल भर के उस रंगीन सपने ने तुम्हारी आँख पर पर्दा डाल दिया हैं

अब तुम्हे नींद के सममोहन क़ो तोड़ कर यथार्थ की धरती पर आना होगा