...

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काश की दास्तान!!
काश!!
वो भी मेरे जैसे हो पाते,
मेरी फिक्र मुझसे ज्यादा दिखा पाते,
दूर रहकर पास होने का हर शर्त निभाते,
इन बेजान सी ओठों पर हसी से जाँ भर जाते,
बेवजह आप मुझसे बातें करने की वजह ढुंढ लाते,
कर जाने से पहले कुछ भी आप सोचते कि,
मुझे बुरा लगेगा और आप पीछे हट जाते,
ये सब अफवाद होगा मेरे लिए अबसे,
कहते है लोग हम हमेसा साथ हैं तुम्हारे,
सचि चाह की पहचान यही शायद कि,
दूरियों को मजूर कर दो पागल लोग,
क्षडभर भी न रह पाते,
काश!
वो मेरे जैसे हो पाते,
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