दास्तान-ए-इश्क़
#स्वीकार
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते,
साथ निभाने का जिम्मा,
तुमने भी तो लिया होगा।
यह लाज़िम नहीं है इश्क़ में,
रखा जाए हिसाब-ए-वफ़ा।
बनाकर शक-ओ-शुबा की दीवार,
मत कीजिए पाक मोहब्बत को ख़फा।
फिर मत कहना बारहा,
कि ज़िन्दगी क्यों कर गई जफ़ा
© ✍️nemat🤲
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते,
साथ निभाने का जिम्मा,
तुमने भी तो लिया होगा।
यह लाज़िम नहीं है इश्क़ में,
रखा जाए हिसाब-ए-वफ़ा।
बनाकर शक-ओ-शुबा की दीवार,
मत कीजिए पाक मोहब्बत को ख़फा।
फिर मत कहना बारहा,
कि ज़िन्दगी क्यों कर गई जफ़ा
© ✍️nemat🤲