ऐ जमीं ऐ आसमां तू क्यों मुझे तड़पा रहा..
ऐ जमीं ऐ आसमां तू क्यों मुझे तड़पा रहा
ना चैन मिल रहा कहीं न सुकून मिल रहा कहीं
मैं हूं भटकता दर बदर मंजिल मुझे मिलती नहीं
क्या है कोई कमी मेरी बता या ये किस्मत का सितम ढहा
ये खालीपन होता गहरा भारी करता मन मेरा।।
© Rohi
ना चैन मिल रहा कहीं न सुकून मिल रहा कहीं
मैं हूं भटकता दर बदर मंजिल मुझे मिलती नहीं
क्या है कोई कमी मेरी बता या ये किस्मत का सितम ढहा
ये खालीपन होता गहरा भारी करता मन मेरा।।
© Rohi