अव्यक्त भाव
भावो के समंदर मे अगणित भावनाए हिलोरे ले रही,
जो व्यक्त करना चाहा तो क्षणभंगुर हो रही है,
कुछ अव्यक्त सी भावनाए कसमसा सी रही है,
सबके समक्ष व्यक्त होने को आतुर सी हो रही है।।
जो व्यक्त करना चाहा तो क्षणभंगुर हो रही है,
कुछ अव्यक्त सी भावनाए कसमसा सी रही है,
सबके समक्ष व्यक्त होने को आतुर सी हो रही है।।