क्या करूँ साली फ़रवरी भी है
ख़ुशी भी है और डर भी है,
दुविधा से भरी ये घड़ी भी है।
चाहत की ख़ातिर साथ हूँ उसके,
अच्छी भली दोस्त बनी तो है।
सारी ज़िंदगी साथ रहना है,
उसको समझाने की हड़बड़ी भी है।
कह दु मन की बात या छिपा लू,
क्या करूँ साली फ़रवरी भी है।
© manasakshar
दुविधा से भरी ये घड़ी भी है।
चाहत की ख़ातिर साथ हूँ उसके,
अच्छी भली दोस्त बनी तो है।
सारी ज़िंदगी साथ रहना है,
उसको समझाने की हड़बड़ी भी है।
कह दु मन की बात या छिपा लू,
क्या करूँ साली फ़रवरी भी है।
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