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क्या भक्त को भगवान पर कोई अधिकार नहीं?
माना राधा के श्याम है, सीता के पुरुषोत्तम राम है,
गौरी शिव की शक्ति है, प्रेम भावों की अभिव्यक्ति है,

मगर क्या मीरा को कृष्ण से प्रेम का अधिकार नहीं?
क्या रुक्मणि का प्रेम निमंत्रण, कृष्ण को स्वीकार नहीं?

क्या गंगा के दिल में शिव के लिए प्रेम होना पाप है,
क्या मीनाक्षी की शिव तपस्या, उसके लिए अभिशाप है?

प्रेम तो समर्पण का स्वरूप, प्रेम पर किसका वश है,
हो राधा, या मीरा हो, हरि, हर सबमें ही प्रेम रस है,

जिसके ह्रदय में प्रेम, समर्पण, और हरिहर का वास है,
उसे हर रूप में प्राप्त है प्रभु, वही हरिहर के पास है।।

© Vishakha Tripathi