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जिद !!
तेरे जिद की कदर करता हूँ मैं
तेरे अड़ने की काबिलियत को नमन करता हूँ मैं
तेरे अकेले लड़ने को सलाम करता हूँ मैं
जानता हूँ मै, रास्ते तू अपने खुद बनाती है
कठनाइया जो आती है उसे तू सुलझाती है
विसवास तेरा चट्टान को हिलाता है
हौसला तेरा आसमान को झुकाता है
छलांग तू लगाती है पकड़ नही तुझे कोई पाता
जीत कर भी तू रुकना नही चाहती
नई बाजी तू फिर से है आजमाती
नही है तुझे अपने हाथो की लकीरो की जरूरत
जिद करके अपनी रेखाएं तू खुद है बनाती।
नही तोड़ पाऊंगा तेरी ज़िद को
बस तू फूल सी महकती रहे मैं माली बना रहू
चढाई तू करती रहे मैं सीढ़िया बना रहू
यात्रा तू पूरी कर मैं तेरा साथी बना रहू
रास्ते का तेरा मैं हमसफर बना रहू
जिद तू करती रहे , कविता मैं तुझपर लिखता रहू जिद का तेरी गवाह मैं बना रहू।
© All Rights Reserved
तेरे अड़ने की काबिलियत को नमन करता हूँ मैं
तेरे अकेले लड़ने को सलाम करता हूँ मैं
जानता हूँ मै, रास्ते तू अपने खुद बनाती है
कठनाइया जो आती है उसे तू सुलझाती है
विसवास तेरा चट्टान को हिलाता है
हौसला तेरा आसमान को झुकाता है
छलांग तू लगाती है पकड़ नही तुझे कोई पाता
जीत कर भी तू रुकना नही चाहती
नई बाजी तू फिर से है आजमाती
नही है तुझे अपने हाथो की लकीरो की जरूरत
जिद करके अपनी रेखाएं तू खुद है बनाती।
नही तोड़ पाऊंगा तेरी ज़िद को
बस तू फूल सी महकती रहे मैं माली बना रहू
चढाई तू करती रहे मैं सीढ़िया बना रहू
यात्रा तू पूरी कर मैं तेरा साथी बना रहू
रास्ते का तेरा मैं हमसफर बना रहू
जिद तू करती रहे , कविता मैं तुझपर लिखता रहू जिद का तेरी गवाह मैं बना रहू।
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