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रुह से फ़रेब करता है
रुह ढूंढती है इश्क़
और इश्क़ आजकल
रुह से फ़रेब करता है
ये वो इश्क़ नही
ज़ो रुह पे मरता है
ये ख़ुदग़र्जी से इश्क़ करता है
बे-ख़बर इस बात से
कि ये रुह से नही
ख़ुद से ही फ़रेब करता है
रुह पाक़ घर अल्लाह का
जाने क्या ये इश्क़ भला
इबादत रब की दरकिनार करता है।
© अनिल अरोड़ा "अपूर्व "
और इश्क़ आजकल
रुह से फ़रेब करता है
ये वो इश्क़ नही
ज़ो रुह पे मरता है
ये ख़ुदग़र्जी से इश्क़ करता है
बे-ख़बर इस बात से
कि ये रुह से नही
ख़ुद से ही फ़रेब करता है
रुह पाक़ घर अल्लाह का
जाने क्या ये इश्क़ भला
इबादत रब की दरकिनार करता है।
© अनिल अरोड़ा "अपूर्व "
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