...

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जल के जीवन में प्राण
क्या आपने पानी को देखा है...?
उस तरह नहीं,
जैसे वो "जल" होकर भी हमारे रोम-रोम के लिए शीतल हैं।
उस तरह नहीं,
जैसे वो एकदम सरल और बेहद नरम हैं।
हाँ उस तरह नहीं,
जैसे वो रंगहीन होकर भी रंगो के स्थायित्व के लिए ज़रूरी हैं।
बिल्कुल उस तरह नहीं,
जैसे वो जी के वनों में, बहती नदी में निर्मल औऱ हमारे जीवन का मर्म हैं।
हम्म उस तरह नहीं,
जैसे वो हमारे ही कारण अपने संगरक्षण के लिए,समस्त पृथ्वी पर, विचारणीय मुद्दा बन गया हैं।
शायद उस तरह भी नहीं,
जैसे वो अब कविताओं का भी जीवन बन गया हैं।
धन्यवाद।जय हिंद,🇮🇳🌍🐚🌹

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© nikita sain