यूँ ही न होती थी यारियाँ
यूँ ही न होती थी यारियाँ
बचपन में.....
बचपन से पचपन में भी होते हैं साथ
अच्छी लगती है यारियाँ, यारों की
संग रहते थे बचपन में यारियों
के हाथ
यूँ ही न होती थी यारियाँ
बचपन में.....
यूँ ही न संग रहते थे बचपन में यारियों
के हाथ
यूँ ही नादानी न थी वो
हक दिए हैं जिसका मेरे और तेरे
माँ बाप
यूँ ही न होती थी यारियाँ
बचपन की.....
संग रहते थे तेरे और मेरे हाथ
यूँ ही न होती थी यारियाँ बस ताज.....
यूँ ही न होती थी यारियाँ
बचपन की.....
यूँ ही न होती हैं यारियाँ.....
पचपन में.....
यह यारी है न कि बस सरताज.....
यूँ ही न मिटने देंगे यारियाँ हम खास.....
है खास तभी तो है ये सरताज
यूँ ही न होता था वो दिन अद्भुत
फासले न होते थे पल भर में आते थे याद यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में....
यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में
यूँ कि न मैं ही तरसते थे भी आप.....
यूँ ही न यारी है यह सरताज...
कि यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में.....
यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में.....
छुप छुप कर खेलते थे हम और आप.....
कि क्या दिन था वह है मुझे भी याद.....
यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में.....
यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में..... साथ.....
© Neha
बचपन में.....
बचपन से पचपन में भी होते हैं साथ
अच्छी लगती है यारियाँ, यारों की
संग रहते थे बचपन में यारियों
के हाथ
यूँ ही न होती थी यारियाँ
बचपन में.....
यूँ ही न संग रहते थे बचपन में यारियों
के हाथ
यूँ ही नादानी न थी वो
हक दिए हैं जिसका मेरे और तेरे
माँ बाप
यूँ ही न होती थी यारियाँ
बचपन की.....
संग रहते थे तेरे और मेरे हाथ
यूँ ही न होती थी यारियाँ बस ताज.....
यूँ ही न होती थी यारियाँ
बचपन की.....
यूँ ही न होती हैं यारियाँ.....
पचपन में.....
यह यारी है न कि बस सरताज.....
यूँ ही न मिटने देंगे यारियाँ हम खास.....
है खास तभी तो है ये सरताज
यूँ ही न होता था वो दिन अद्भुत
फासले न होते थे पल भर में आते थे याद यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में....
यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में
यूँ कि न मैं ही तरसते थे भी आप.....
यूँ ही न यारी है यह सरताज...
कि यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में.....
यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में.....
छुप छुप कर खेलते थे हम और आप.....
कि क्या दिन था वह है मुझे भी याद.....
यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में.....
यूँ ही न होती थी यारियाँ बचपन में..... साथ.....
© Neha