ग़ज़ल
इस अँधेरे में मेरे पास में जुगनू भी नहीं
इतनी तन्हाई है और आँख में आँसू भी नहीं
किस तरह मान लूँ मैं इन को सुख़न का मरकज़
तेरी आँखों में किसी तरह का जादू भी नहीं
इस तरह...
इतनी तन्हाई है और आँख में आँसू भी नहीं
किस तरह मान लूँ मैं इन को सुख़न का मरकज़
तेरी आँखों में किसी तरह का जादू भी नहीं
इस तरह...