8 views
कर्मपथ
कर्मपथ
कर्म करूँ या पथ निहारूँ
या रस्ता खोजूँ मंज़िल का
कहाँ है जाना कहाँ नहीं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।
इस दुविधा में बैठ मैं सोचूँ
कहीं रस्ता गलत तो नहीं
भटक न जाऊँ कहीं और मैं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।
क्या देर हो गयी या जल्दी है
किसको जाकर ये सवाल करूँ
कर्म करूँ या पथ निहारूँ
सवाल करूँ खुद से खुद का।।
कब पहुँचूँगा मंज़िल पे अपनी
इंतेज़ार और कितना लम्बा होगा
भटक न जाऊँ कहीं और मैं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।
धैर्य रखूँ और आगे बढूँ मैं
खुद से ही ये तय कर लिया
मिलेगी मंज़िल मुझको भी मेरी
जवाब ये मेरा खुद से खुद का।।
©Satender_Tiwari_Brokenwords
कर्म करूँ या पथ निहारूँ
या रस्ता खोजूँ मंज़िल का
कहाँ है जाना कहाँ नहीं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।
इस दुविधा में बैठ मैं सोचूँ
कहीं रस्ता गलत तो नहीं
भटक न जाऊँ कहीं और मैं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।
क्या देर हो गयी या जल्दी है
किसको जाकर ये सवाल करूँ
कर्म करूँ या पथ निहारूँ
सवाल करूँ खुद से खुद का।।
कब पहुँचूँगा मंज़िल पे अपनी
इंतेज़ार और कितना लम्बा होगा
भटक न जाऊँ कहीं और मैं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।
धैर्य रखूँ और आगे बढूँ मैं
खुद से ही ये तय कर लिया
मिलेगी मंज़िल मुझको भी मेरी
जवाब ये मेरा खुद से खुद का।।
©Satender_Tiwari_Brokenwords
Related Stories
8 Likes
0
Comments
8 Likes
0
Comments