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कर्मपथ
कर्मपथ

कर्म करूँ या पथ निहारूँ
या रस्ता खोजूँ मंज़िल का
कहाँ है जाना कहाँ नहीं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।

इस दुविधा में बैठ मैं सोचूँ
कहीं रस्ता गलत तो नहीं
भटक न जाऊँ कहीं और मैं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।

क्या देर हो गयी या जल्दी है
किसको जाकर ये सवाल करूँ
कर्म करूँ या पथ निहारूँ
सवाल करूँ खुद से खुद का।।

कब पहुँचूँगा मंज़िल पे अपनी
इंतेज़ार और कितना लम्बा होगा
भटक न जाऊँ कहीं और मैं
सवाल करूँ खुद से खुद का।।

धैर्य रखूँ और आगे बढूँ मैं
खुद से ही ये तय कर लिया
मिलेगी मंज़िल मुझको भी मेरी
जवाब ये मेरा खुद से खुद का।।

©Satender_Tiwari_Brokenwords