...

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जन्म दिवस
तुमको वर्णित कर सके,मेरे पास ऐसे शब्द कहाँ
तुम उसे धरा को भी खुश कर दो,पड़ा हो जहाँ क्षुब्ध जहां
सुना है मैंने कि, तुमको मनाहीं है छत पर जाने को पता है, लगता सबको कि फरिश्ते निकले हैं तुमको लाने को
फिर किधर जहां में से ऐसा फरिश्ता वे ढूंढ के लाएंगे
कभी गवर्नर, कभी सांसद फिर किसको वे बनाएंगे
चिढ़ते रहना,कुछ कहते रहना यही स्वभाव तुम्हारा निराला है
सुना है मैंने कि युवा संसद के फोटोग्राफर ने चुन-चुन कर चित्र निकला है
और ऐसे ही नहीं सदा सब तारीफ...