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समय में कस्ती
#रहने-दिया
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद को न मिलने दिया,
न हो कोई शिकवा शिकायत
मन में कोई विचार न उत्पन होने दिया,
रूह को आनंद से
परिभाषित न होने दिया
आराम को स्वीकार न किया
कभी आनंद की तरफ विचार न किया
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया
अपनी कस्ती को समय के हाथ में सौंप दिया,
© shivani jain
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद को न मिलने दिया,
न हो कोई शिकवा शिकायत
मन में कोई विचार न उत्पन होने दिया,
रूह को आनंद से
परिभाषित न होने दिया
आराम को स्वीकार न किया
कभी आनंद की तरफ विचार न किया
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया
अपनी कस्ती को समय के हाथ में सौंप दिया,
© shivani jain
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