जरा दर्शन 📿 जरा दरगाह 🕌🛐
पानी करे गान पनधर का, ज़ेहन पर जान जनवर का!!
गगन करे गान आ पूरबा, तेरा ही दरकार तू ही गुमराह।।
हंस विधान रहमत का, बदन वरदान कुदरत का।।
जहन्नुम जो मनचाहा, तेरा फ़रमान दफ़न कब्रगाह।।
बलि न व्यायाम भगवन का, हनन न मुनासिब मज़हब का।।
दरिंदगी से हो बर्खास्त, तेरा पैग़ाम बने दरमाह!!
चहुओर दंगा आग-उगला, अनैतिक राह तू बूझ उपला!!
मुकद्दर ग्रसे कुगल बचना, धरा रह जाए भूखनवा ना।।
मत अरमान झांसा रमना, इनके ना भाव भंवर फसना।।
पैठ जे पाए नसेनी नसना, कवायद...