...

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मैं समुंदर की लहर!🌊🐚
मैं समुंदर की लहर!
मेरा नहीं है कोई ठिकाना
चल रही हूं ,चल रही हूं
चलते ही मुझको है जाना ।।

🌊🌊🌊🌊🌊🌊

तूफान भी आता है सहने को
लिए परिश्रम जैसे गहने को,
आज यहां हूं,कल वहां हूं
समय को ही मंजिल है माना ।
चल रही हूं ,चल रही हूं
चलते ही मुझको है जाना ।।

मैं चंचल सी रहती हूं,
खारापन अपना खुद सहती हूं
क्या आलस , क्या आराम
मेरे पास नहीं कोई बहाना ।
चल रही हूं ,चल रही हूं
चलते ही मुझको है जाना ।।

निर्मलता भी है शामिल मुझ में
मेरा लक्ष्य मेरा साहिल मुझ में
कभी यहाँ से,कभी वहां से
मेरा खुद में ही टकराना ।
चल रही हूं ,चल रही हूं
चलते ही मुझको है जाना।।

राहें मेरी आसान नहीं
मुश्किलों से मैं परेशान नहीं
चाहे ऐसे, चाहे वैसे
मुझे खुद को खुद से है जिताना ।
चल रही हूं ,चल रही हूं
चलते ही मुझको है जाना ।।
✍🏻सौम्या तिवारी
© soumya.tiwari