जीवन की लड़ियाँ
टूट जाती हैं जीवन की लड़ियाँ,
जब बिखर जायें आस की कड़ियाँ,
मन क्रन्दन करे,
तन रुदन करे,
नयन अश्रु नीर,
उर में बढ़े पीर,
जैसे मीन तड़पे गर्म रेत मिले नहीं जल,
तन हो जाये श्वेत होकर के विकल,
ग़म से मिले जब तन्हाई
झर झर झरते अश्क़...
जब बिखर जायें आस की कड़ियाँ,
मन क्रन्दन करे,
तन रुदन करे,
नयन अश्रु नीर,
उर में बढ़े पीर,
जैसे मीन तड़पे गर्म रेत मिले नहीं जल,
तन हो जाये श्वेत होकर के विकल,
ग़म से मिले जब तन्हाई
झर झर झरते अश्क़...