कितना प्रेम
तुमसे पूछा करती हूं अक्सर
कितना प्यार करते हो मुझसे?
तुम अपने दोनों हाथ फैला कर कहते हो
इतना.....सारा.....
जानती हूं तुम्हारा प्रेम अथाह है
फिर भी तुम्हें टटोलने के अंदाज में कहती हूं
बस........ इतना सा ही।
मुझे आधा नहीं पूरा चांद चाहिए
पूरा 360°
जहां तुम्हारे हाथों का फैलाव ख़त्म होता है
वहां से...
कितना प्यार करते हो मुझसे?
तुम अपने दोनों हाथ फैला कर कहते हो
इतना.....सारा.....
जानती हूं तुम्हारा प्रेम अथाह है
फिर भी तुम्हें टटोलने के अंदाज में कहती हूं
बस........ इतना सा ही।
मुझे आधा नहीं पूरा चांद चाहिए
पूरा 360°
जहां तुम्हारे हाथों का फैलाव ख़त्म होता है
वहां से...