...

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यौवन
समेट कर तेरे पौरुष की
बलिष्ठ भुजाओं में

नेस्तनाबूद कर
मेरे कामुक जहर को
जो फैला है मेरे यौवन की
कंदराओं में

आलिंगन कर मेरे नवयौवन को
स्खलित कर मेरे उतेजित
माधुर्यमय रस को

प्यासी है मेरी कामिनी काया
दे दस्तक अपने कामुक भुजंग की
सिमटने दे मेरे यौवनारंभ को

तरंगिणी लहरों में उन्माद भरा
कामाग्नि का है
सख्त पहरा

पिधान का
कर विधान
कर जघन संधान।