...

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तुम्हारे बाद का मौसम 😀
ये धुआँ-धुआँ सा चेहरा, सर-ए-आब है तो क्यों है
मिरी चश्म-ए-नम में अब तक, कोई ख़्वाब है तो क्यों है

तिरी क़ुरबतों की रस्में, ग़म-ए-दिल बढ़ा रही हैं
तिरी लज़्ज़तों का मारा, ये जो बाब है तो क्यों है

कोई हिज्र काटती हैं,...