मुख़्तार
#जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
सबकी अपनी औकात है
दो जून की रोटियां
पड़ी चार जून पर भारी
वरना हर शख़्स शाह यहां
हर शय यहां मुख़्तार है
© anamika
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
सबकी अपनी औकात है
दो जून की रोटियां
पड़ी चार जून पर भारी
वरना हर शख़्स शाह यहां
हर शय यहां मुख़्तार है
© anamika
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