Corona ki chuttiyan
जीवन की उथल पुथल में छुट्टी बड़ी प्यारी हैं !
छुट्ट्यां तो मिल गयी पर इनकी कीमत बड़ी भारी है !!
हर हफ्ते हम बैठे इतवार की आन्स लगाया करते थे !
सोमवार को ही हफ्ते के बचे दिन गिन लिया क meरते थे !!
समय के आभाव की हर वक़्त शिकायत रहती थी !
कुछ न कुछ हासिल करने की हौड़ हमेशा रहती थी !!
अब थम सा गया है ये समय हमसे ये कुछ कहता है !
भागा भागी बंद करो ये रुकने को हमें कहता है !!
थक गए उलझ गए प्रकृति के हाथ हम बेबस हैं !
जो चाहते थे मिल गया फिर भी हम क्यों नीरस हैं !!
अब उठ जाओ संकल्प करो समय को यूँ न व्यर्थ करो !
बचपन की उन यादो को फिर से y hlजीने का पर्यतन करो !!
भरी विपदा तो आयी है सरकार ने रोक लगायी है !
पर सोच के देखों तुम जरा ये छुट्टी की बेला ही तो आयी है !!
कल दफ्तर जाने की जल्दी नहीं हैं घर आने की फिक्र नहीं है !
अपनों का हमे साथ मिला है जीने का एहसास मिला है !!
लक्समन रेखा का दायरा है पर वक़्त ये हमारा है !
सोच के देखो तुम जरा ये ही तो समय न्यारा है !!
थोड़ी दुरी बनाये रखकर इतने पास हम आजायें !
मन मुटाव मिटाकर एक दूसरे के हो जाए !!
जीवन चक्र को आज रोक दो तुम टूटे दिलो को जोड़ दो तुम !
हर चेहरे पर जो भय है उसे पीछे छोड़ दो तुम !!
थोड़ी ये अलग हैं पर छुट्ट्यां ही तो आयी हैं !
मस्ती के साथ थोड़ी जिम्मेदारी भी लायी हैं !!
सरकार का तुम साथ दो एक दूजे से काम मिलो !
दूर से ही तुम अपने से मिलो !!
वक़्त आ गया है फिर से संभलने का , जीवन चक्र में फिर से बच्चा बनने का !!
जीवन की उथल पुथल में छुट्टी बड़ी प्यारी हैं !
छुट्ट्यां तो मिल गयी पर इनकी कीमत बड़ी भारी है !!
@ritz
छुट्ट्यां तो मिल गयी पर इनकी कीमत बड़ी भारी है !!
हर हफ्ते हम बैठे इतवार की आन्स लगाया करते थे !
सोमवार को ही हफ्ते के बचे दिन गिन लिया क meरते थे !!
समय के आभाव की हर वक़्त शिकायत रहती थी !
कुछ न कुछ हासिल करने की हौड़ हमेशा रहती थी !!
अब थम सा गया है ये समय हमसे ये कुछ कहता है !
भागा भागी बंद करो ये रुकने को हमें कहता है !!
थक गए उलझ गए प्रकृति के हाथ हम बेबस हैं !
जो चाहते थे मिल गया फिर भी हम क्यों नीरस हैं !!
अब उठ जाओ संकल्प करो समय को यूँ न व्यर्थ करो !
बचपन की उन यादो को फिर से y hlजीने का पर्यतन करो !!
भरी विपदा तो आयी है सरकार ने रोक लगायी है !
पर सोच के देखों तुम जरा ये छुट्टी की बेला ही तो आयी है !!
कल दफ्तर जाने की जल्दी नहीं हैं घर आने की फिक्र नहीं है !
अपनों का हमे साथ मिला है जीने का एहसास मिला है !!
लक्समन रेखा का दायरा है पर वक़्त ये हमारा है !
सोच के देखो तुम जरा ये ही तो समय न्यारा है !!
थोड़ी दुरी बनाये रखकर इतने पास हम आजायें !
मन मुटाव मिटाकर एक दूसरे के हो जाए !!
जीवन चक्र को आज रोक दो तुम टूटे दिलो को जोड़ दो तुम !
हर चेहरे पर जो भय है उसे पीछे छोड़ दो तुम !!
थोड़ी ये अलग हैं पर छुट्ट्यां ही तो आयी हैं !
मस्ती के साथ थोड़ी जिम्मेदारी भी लायी हैं !!
सरकार का तुम साथ दो एक दूजे से काम मिलो !
दूर से ही तुम अपने से मिलो !!
वक़्त आ गया है फिर से संभलने का , जीवन चक्र में फिर से बच्चा बनने का !!
जीवन की उथल पुथल में छुट्टी बड़ी प्यारी हैं !
छुट्ट्यां तो मिल गयी पर इनकी कीमत बड़ी भारी है !!
@ritz