आखिरी चिट्ठी
चाहे रेत हो रेगिस्तान की या सियाचिन का आसमान हो
पसीने से प्यास बुझाना हो या माइनस में तापमान हो
वो कदम न पीछे लौटेंगे , भले ही सामने चट्टान हो
एक ही ख्वाहिश है उसकी , सबके दिल में तिरंगा और लबों पे हिंदुस्तान हो।
सूरज सा तेज़ आंखों में , लेकर हथेली पे जान चला वो
मतवाला था इस मिट्टी का , पूरा करके अपना काम चला वो
जो...
पसीने से प्यास बुझाना हो या माइनस में तापमान हो
वो कदम न पीछे लौटेंगे , भले ही सामने चट्टान हो
एक ही ख्वाहिश है उसकी , सबके दिल में तिरंगा और लबों पे हिंदुस्तान हो।
सूरज सा तेज़ आंखों में , लेकर हथेली पे जान चला वो
मतवाला था इस मिट्टी का , पूरा करके अपना काम चला वो
जो...