कागज की नाव
जीवन एक कागज की नाज़ुक सी कस्ती के समान है,
ओर एक दिन इसका अस्तित्व मिटना ही इसकी पहचान है,
इस नाव के सहारे सफ़र करने वाले हम तो बस मेहमान है,
जो खुद को मालिक समझकर करते सबका अपमान है,
इसको खुशीयों के पानी का सहारा मिलें तो यह उस पर लेती उड़ान है,
पर कभी कभी दुखों की बारिश इसको करें परेशान हैं,
हम तो इस नैया पर सवार होने वाले मामूली से इंसान हैं,
अगर हम इस पानी और बारिश में ना संभले तो जाती अपनी जान है।
© DEV-HINDUSTANI
ओर एक दिन इसका अस्तित्व मिटना ही इसकी पहचान है,
इस नाव के सहारे सफ़र करने वाले हम तो बस मेहमान है,
जो खुद को मालिक समझकर करते सबका अपमान है,
इसको खुशीयों के पानी का सहारा मिलें तो यह उस पर लेती उड़ान है,
पर कभी कभी दुखों की बारिश इसको करें परेशान हैं,
हम तो इस नैया पर सवार होने वाले मामूली से इंसान हैं,
अगर हम इस पानी और बारिश में ना संभले तो जाती अपनी जान है।
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