...

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उम्मीद की डोर...
उम्मीद की डोर थी तुमसे जो अब टूट गयी है।
सपने जो तुमसे थे वो अब बिखर गए है।।

सोना समझ के जिस रिश्तों को पाला।
आज मिट्टी सी पसर गए है।।

७ कसमे खाई थी जो हमने।
वो सप्तपदी आज पलट गए है।।

हर समय मुझे गलत ठहराना।
तेरी चाल आज सफल हो गयी है।।