पुरानी यादों का पिटारा
आज खोला जो सन्दूक ,बिखरी धुँधली यादों का,
एक खत लिपटा था उसमें ,तेरे अधूरे वादों का,
धुँधलाए थे अल्फ़ाज़ उसके,मिट गई स्याही थी,
फ़िर भी कई...
एक खत लिपटा था उसमें ,तेरे अधूरे वादों का,
धुँधलाए थे अल्फ़ाज़ उसके,मिट गई स्याही थी,
फ़िर भी कई...