...

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जाने क्यों...
जाने क्यूं मुझकों इस कदर सताते हो,
बात बात पर हमसे रूठ जाते हो..
जाने क्यों......।

बड़ी मुश्किल से है सम्हाला
मैंने अपने दिल को,
मैंने खुद को सौंप दिया है
अपने कातिल को,
मेरे हिस्से का प्यार क्यू
गैरों पे तुम लुटाते हो,
जाने क्यू मुझकों........

मैंने ख़्वाब देखे बहुत हर ख़्वाब में तुम थे,
मैं आवाजें देता रहा और गुमसुम उदास तुम थे,
देख हालत मेरी क्यों आप मुस्कुराते हो, जाने क्यू मुझकों..... |

जब तक है जिंन्दगी ये मिलने की उम्मीद जारी है,
हमको छोड़ा है तुमने तन्हा *सम्राट*
गैरों से तेरी यारी है,
लिखते हो खत मुझे
और पता किसी और का लिख देते हो। जाने क्यू मुझकों.......।।

{VKSAMRAT}