...

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महसूस नहीं होता
वो शख्स मुझे महसूस नहीं होता
किसी ज़र्ब में अब दर्द नही होता

जख्मों का सफ़र निशानों से बयां होता है
अजी निशानों से कोई मजबूर नहीं होता

सोचती हूं की कुछ कहूं और की अब ख़ामोश हो जाऊं
ज़मीर मर चुका हो तो फ़कत कहने से कुछ नही होता

सब छोड़ कर सब हासिल करने को दौड़ रहा इंसान
कौन समझाए कि तल्ख रिश्तों में सुकून नही होता

शिद्दत-ए-तिश्नगी का अंदाज़ा ही नही जमाने जीको
चाह कर तो देखते कैसे आसमां ज़मी नही होता
#shubh
Shubhra pandey


© shubhra pandey