मुमताज ♥️
रात का चमकता चांद है तू मैं सवेरा कोई
मुमकिन कैसे भला रिश्ता, तेरा मेरा कोई
अगर खुदा राजी हुआ मोल भाव करने को
खुद को बेचकर मांगता एक पल तेरा कोई
दिल दबी ख्वाहिश कभी मैं मिलूंगा चांद से
काश..पल भर के लिए, कर दे...
मुमकिन कैसे भला रिश्ता, तेरा मेरा कोई
अगर खुदा राजी हुआ मोल भाव करने को
खुद को बेचकर मांगता एक पल तेरा कोई
दिल दबी ख्वाहिश कभी मैं मिलूंगा चांद से
काश..पल भर के लिए, कर दे...