...

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फ़िर से मोहब्बत हो ना जाए
दिल मेरा यह फ़िर पिघल ना जाए
यारों फ़िर से 'मोहब्बत' हो ना जाए
बे-नियाज़ी का अब सिर्फ़ नाम यहाँ
फ़िर दिल से यूँ दुश्मनी हो ना जाए

अविरल बहती 'धारा' को रोका था
'अंखियाँ' फ़िर नदिया हो ना जाए
'लबों' ने प्यास का गला घोंट दिया
'प्यास' की चाह, फ़िर जग ना जाए

साँस भूली मुश्किल से, यूँ साँस को
साँस का गुज़रना कहीं थम ना जाए
यारों नज़रे मेरी, सबसे नज़रे चुराती
एहसास का वहम, घर कर ना जाए
© कृष्णा'प्रेम'