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रद्दी के टुकड़े
रद्दी के टुकड़े

मुद्द्दतो पहले दिल के तिज़ोरी में
रखा था तेरे प्यार रूपी खजाने को
यादों के वस्त्रों में लपेटकर,
आंसुओं के तिज़ोरी में भरकर।

रखा था अपनों से हटाकर,
गैरों से भी बचाकर...
सिसकियों में कहीं दबाकर
मुस्कराहटो में ... छुपाकर।
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