ग़ज़ल
मफ़ऊल- मुफ़ाईल-मुफ़ाईल-फ़ऊलुन
दुनिया को मुझे ये भी अब कर के दिखाना है
तूफ़ानी हवाओं में इक शम'अ जलाना है
मज़लूम का ऐसे में अब कैसे गुज़ारा हो
हैं लोग बड़े ज़ालिम बेदर्द ज़माना है
तुम रहते हो पानी में...
दुनिया को मुझे ये भी अब कर के दिखाना है
तूफ़ानी हवाओं में इक शम'अ जलाना है
मज़लूम का ऐसे में अब कैसे गुज़ारा हो
हैं लोग बड़े ज़ालिम बेदर्द ज़माना है
तुम रहते हो पानी में...