...

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मुलाक़ात
अभी इश्क़ की कई मुलाक़ात बाक़ी है।
तरसते इन होंठो की एक रात बाक़ी है।।

वो जो तन्हाई में काटी थी तुमने।
होने को वो सारी बातें बाक़ी है।।

देखो इन आँखों मे नमी रहती थी ग़म की।
तेरे होने से जाना जीने की आस बाक़ी है।।-वैभव रश्मि वर्मा
© merelafzonse