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सावन और उम्मीद
आषाढ़ का वह महीना था,
ताप्ती धूप का वह महीना था।
जहा से गुज़र के आई थी हमारी धरती ।
पानी के लिए हाहाकार मचा,
दुर्भिक्ष भूमि मैं ,
ना जाने कितने पोधो ने अपना दम था तोड़ा।

आसमान मे अक्षि टिकाए,
यह नज़र नही एक आश थी।
पानी की बूंद की।
प्यासे कण्ठ को शीतल जल की।
मिलो का सफ़र कर यह जो पंछिया आयी हैं,
अपने आशियाने को छोड़,
धूप से बचती।
खाना पानी को ढूँढती ।
अपनी नन्ही जान को बचाती,
ना जाने कितने आपने साथियों को रास्ते मैं अलविदा कहती।

सावन क्या है ?
सावन एक उम्मीद है,
वह जो पहली बूँद का धरती को स्पर्श करना,
ऐसा प्रतीत होता मानो वर्षों कि दुआ काबूल हो गयी।
निर्मल जल के स्पर्श से आत्मा को तृप्ति प्रदान हो गई ।

सावन एक प्रेम का प्रतीक है,
जो भूमि की कठोरता को कोमलता में...