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प्रिय मां
याद है आपको जब मैं बचपन में एक दिन स्कूल से रोते हुए घर आया था। क्यों कि मैं उस दिन स्कूल के खेल प्रतियोगिता में हार गया था। और आपने कहां था कोई बात नहीं तुम अगले बरस फिर से भाग लेना और दुगुनी मेहनत करना फिर देखना वो ट्रौफी तुम्हें कैसे नही मिलेंगी ..?विश्वास वह पर्वत है जो हर मुश्किल को आसान कर देता है। आपका दिया हुआ हुआ वह मंत्र ही
मेरे काम आया और मेरी कामयाबी का वजह बना।आज आप ही की बदौलत मैं इस मुकाम पर हूं। अगर आप ने उस दिन मुझे समझाया नहीं होता तो पता नहीं आज मैं कहां होता..??आई लव यू मां..आपकी बड़ी याद आ रही है।काश इस वक्त आप यहां होती और मुझे ट्रौफी लेते हुए अपनी आंखों से देखती तो मुझे बहुत अच्छा लगता....!!

प्रिय मां,
मैंने कभी आपको देखा तो नहीं मगर मेरा मन कहता है।
आप बिल्कुल दुर्गा मां की तरह होंगी। बहुत खुबसूरत और दयालु,जो अपने बच्चों को कभी निराश उदास नहीं देख सकती।आपको पता है मां मैं आपको बहुत याद करता हूं।लोग कहते हैं आप इस दुनिया में नहीं हो।
पर मेरा दिल कहता है आप हर घड़ी हर पल मेरे आसपास हो ‌।आज स्कूल में मास्टर जी ने मुझे बहुत डांटा और कहा कि अगर आप हो तो दिखाई क्यों नहीं देते हो..?? जब मैंने उन से कहा कि आप मेरे सपने में आते हो,मेरे साथ बातें करते हो, मुझे अपने हाथों से खाना खिलाते हो, मुझे कहानियां सुनाते हो और मुझे लोरी गाकर सुनाते हो..!आपको पता है मां तब मास्टर सर ने क्या कहा कहने लगे।विश्वास वो पर्वत हैं।जिसके आगे सब नतमस्तक हैं।
किरण