...

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बहती नदी..
जीवन, बहती नदिया की धार,
कल कल की खुशियों सा श्रृंगार।
निर्मल, चंचल, उत्कल, पावन,
हो जाए तृप्त जहां संसार।
जीवन बहती नदिया की धार।।
कल कल की खुशियों का श्रृंगार।।

बचपन पवित्र, उद्गम जैसा,
जहां द्वेष नहीं, वह मन ऐसा।
अटखेली चंचल, लहरों सी,
अनमोल रत्न का धन जैसा।
दूषित न करो, जो करे पुकार..
जीवन बहती नदिया की धार।।