...

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भावनाओं का खेल है
कविताओं में संग्रहित और भी क्या मेल है
शब्दों का जोल है बस भावनाओं का खेल है

कल्पनाओं को उड़ाते मन गंगा का बहाव है
आख़िर , हर दिल की व्यथाओं का माहौल है

नक़ाब पहने, बुराई कभी अच्छाई ख़ातिर है
दर्दी दिल किसका नही छुपन्छुपाई का चल है

हँसती छवी सामने,आँसू पी रहे अकेले में है
बस यहां असली प्रेम तो मीले, माँ के आँचल है

आना जाना अकेले, एक ही जीवन उसूल है
मैं तेरा,तू मेरी न कहो भाई,ये भावनाओं का मल है

रिश्ते-नाते तब है,जब मृत शरीर पड़ा अकेला है
बस दिखावी दुनियाँ में आंसुओ की ही कलकल है

लालच मोह से बने कर्मवीरों की न यहाँ कमी है
तो सजे शब्द कविताओं के दिखाए ज़िंदगी अटल है